वित्तीय लेन-देन विवरण (Statement of Financial Transaction - SFT) को समझना

वित्तीय लेन-देन विवरण (Statement of Financial Transaction - SFT) को समझना

vitteey-len-den-vivaran-Statement-of-Financial-Transaction---SFT-ko-samajhana

उच्च-मूल्य वाले लेन-देन (high-value transactions) पर नज़र रखने के लिए, आयकर विभाग ने वित्तीय लेन-देन विवरण (Statement of Financial Transaction - SFT) की अवधारणा पेश की है, जिसे रिपोर्टेबल खाता (reportable account) भी कहा जाता है। इस प्रणाली का उद्देश्य विशिष्ट वित्तीय गतिविधियों को ट्रैक करना और कर अधिकारियों को आयकर अनुपालन में सहायता करना है।

यह लेख SFT से संबंधित प्रमुख प्रावधानों, आवश्यक रिपोर्टिंग संस्थाओं, रिपोर्टेबल लेन-देन और अनुपालन न करने पर लगने वाले दंडों को स्पष्ट करेगा।

वित्तीय लेन-देन विवरण (SFT) क्या है?

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 285BA के तहत, कुछ निर्दिष्ट संस्थाओं को SFT फ़ाइल करनी होती है ताकि उच्च-मूल्य वाले लेन-देन की जानकारी आयकर विभाग को दी जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय गतिविधियों पर नज़र रखना और आयकर रिटर्न में किसी भी विसंगति का पता लगाना है।

किन्हें SFT फ़ाइल करनी होती है?

SFT फ़ाइल करने की ज़िम्मेदारी उन संस्थाओं की होती है जो वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कर अनुपालन का पालन करने के लिए बाध्य हैं। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 285BA के तहत, निम्नलिखित इकाइयाँ SFT रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी हैं:

1. बैंक और वित्तीय संस्थान:

  • बैंकिंग कंपनियाँ और सहकारी बैंक जो उच्च-मूल्य वाले जमा और निकासी का संचालन करते हैं।

  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) जो ऋण, निवेश और अन्य वित्तीय सेवाएँ प्रदान करती हैं।

2. सरकारी विभाग और नियामक संस्थाएँ:

  • आयकर विभाग द्वारा अधिसूचित सरकारी कार्यालय जिन्हें विशिष्ट वित्तीय गतिविधियों की रिपोर्टिंग करनी होती है।

  • डाक महाप्रबंधक (Post Master General) जो डाक योजनाओं के तहत उच्च-मूल्य वाले निवेश और लेन-देन की रिपोर्टिंग करते हैं।

3. स्टॉक मार्केट और निवेश से जुड़ी संस्थाएँ:

  • मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज जो सूचीबद्ध शेयरों की बिक्री और खरीद की रिपोर्टिंग करते हैं।

  • डिपॉजिटरी और प्रतिभूति बाजार से जुड़ी संस्थाएँ

  • म्यूचुअल फंड कंपनियाँ जो ₹10 लाख या अधिक के निवेश की रिपोर्टिंग करती हैं।

4. संपत्ति और भूमि से संबंधित प्राधिकरण:

  • रजिस्ट्रार और उप-रजिस्ट्रार जो अचल संपत्ति (real estate) की खरीद-बिक्री को पंजीकृत करते हैं।

  • भूमि अधिग्रहण प्राधिकारी जो भूमि से जुड़े वित्तीय लेन-देन की निगरानी करते हैं।

5. वाहन पंजीकरण प्राधिकरण:

  • मोटर वाहन पंजीकरण अधिकारी, जो ₹10 लाख या अधिक के वाहनों की खरीद और पंजीकरण की रिपोर्टिंग करते हैं।

6. विदेशी मुद्रा और क्रेडिट कार्ड से जुड़े संस्थान:

  • अधिकृत विदेशी मुद्रा डीलर जो ₹10 लाख या अधिक के विदेशी मुद्रा लेन-देन की रिपोर्टिंग करते हैं।

  • क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियाँ जो उच्च-मूल्य वाले भुगतान को ट्रैक करती हैं।

7. अन्य अधिसूचित संस्थाएँ और व्यवसाय:

  • कोई भी अन्य संस्था जिसे सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हो।

  • वे व्यवसाय जो धारा 44AB के अंतर्गत ऑडिट के लिए उत्तरदायी हैं और उच्च-मूल्य वाले नकद लेन-देन करते हैं।

इन सभी संस्थाओं को सुनिश्चित करना होता है कि वे समय पर और सही जानकारी के साथ SFT रिपोर्ट दाखिल करें ताकि वित्तीय पारदर्शिता बनी रहे और कर चोरी को रोका जा सके।? वित्तीय लेन-देन विवरण (SFT) उन संस्थाओं को फ़ाइल करनी होती है जो बड़े वित्तीय लेन-देन करती हैं। इन संस्थाओं की रिपोर्टिंग सरकार को पारदर्शिता बनाए रखने और कर चोरी को रोकने में मदद करती है।

SFT फ़ाइल करने के लिए आवश्यक संस्थाएँ

  1. व्यक्तिगत करदाता और व्यवसाय – जो निर्दिष्ट वित्तीय लेन-देन की सीमा को पार करते हैं।

  2. सरकारी कार्यालय – जो वित्तीय रिपोर्टिंग के लिए उत्तरदायी हैं।

  3. स्थानीय निकाय एवं सार्वजनिक संस्थाएँ – जिनके वित्तीय लेन-देन रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के अंतर्गत आते हैं।

  4. रजिस्ट्रार और उप-रजिस्ट्रार – जो अचल संपत्ति के हस्तांतरण से संबंधित लेन-देन को संभालते हैं।

  5. मोटर वाहन पंजीकरण प्राधिकरण – जो उच्च-मूल्य वाले वाहन पंजीकरण को ट्रैक करते हैं।

  6. डाक महाप्रबंधक (Post Master General) – जो डाक सेवाओं में बड़े लेन-देन को रिपोर्ट करते हैं।

  7. भूमि अधिग्रहण प्राधिकारी – भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत भूमि लेन-देन को संभालने वाले अधिकारी।

  8. मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज – जो उच्च-मूल्य वाले स्टॉक लेन-देन की रिपोर्टिंग करते हैं।

  9. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिकारी – जो विनियमित वित्तीय लेन-देन की रिपोर्टिंग करते हैं।

  10. डिपॉजिटरी एवं वित्तीय संस्थाएँ – जो प्रतिभूतियों और निवेश लेन-देन को प्रबंधित करते हैं।

  11. अन्य अधिसूचित वित्तीय संस्थाएँ – बैंक, NBFC, और अन्य विनियमित इकाइयाँ जो बड़े वित्तीय लेन-देन की रिपोर्टिंग करती हैं।

किन लेन-देन की रिपोर्टिंग SFT के तहत आवश्यक है?

नीचे दी गई तालिका में वे लेन-देन सूचीबद्ध हैं जिन्हें SFT के अंतर्गत रिपोर्ट करना अनिवार्य है:

क्रम सं.

लेन-देन का प्रकार

रिपोर्टिंग इकाई

1

₹50 लाख या अधिक की नकद जमा या निकासी

बैंक और सहकारी बैंक

2

₹10 लाख या अधिक की नकद जमा

बैंक, सहकारी बैंक, डाकघर

3

₹10 लाख या अधिक की सावधि जमा (Fixed Deposit)

बैंक, NBFC, निधि कंपनियाँ

4

₹1 लाख या अधिक नकद या ₹10 लाख या अधिक अन्य माध्यमों से क्रेडिट कार्ड भुगतान

बैंक, क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता

5

₹10 लाख या अधिक के शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद

कंपनियाँ और म्यूचुअल फंड हाउस

6

₹30 लाख या अधिक की अचल संपत्ति की खरीद/बिक्री

रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार

7

₹10 लाख या अधिक की विदेशी मुद्रा से जुड़ी गतिविधियाँ

अधिकृत विदेशी मुद्रा डीलर

8

₹2 लाख से अधिक नकद में माल या सेवा की खरीद

व्यवसाय जो धारा 44AB के अंतर्गत आते हैं

SFT फ़ाइल करने की समय-सीमा

SFT को संबंधित वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के बाद 31 मई तक फ़ाइल करना आवश्यक है। विलंब होने पर दंड लगाया जा सकता है।

SFT अनुपालन न करने पर दंड

  1. देर से फ़ाइल करने पर ₹500 प्रतिदिन का दंड (धारा 271FA के तहत)।

  2. यदि कर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जाता है और फिर भी फ़ाइल नहीं किया जाता, तो ₹1,000 प्रतिदिन का दंड

  3. गलत जानकारी देने पर ₹50,000 का दंड

  4. 2024 से सख्त दंड प्रावधान लागू होंगे

SFT पंजीकरण प्रक्रिया

  1. डिज़ाइनटेड डायरेक्टर की नियुक्ति करें

  2. आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर पंजीकरण करें

  3. सभी लेन-देन का रिकॉर्ड रखें

कर रिटर्न प्री-फाइलिंग में SFT की भूमिका

CBDT ने 2021 से SFT डेटा का उपयोग आईटीआर प्री-फाइलिंग के लिए करना शुरू किया। इसके तहत:

  1. सूचीबद्ध प्रतिभूतियों और म्यूचुअल फंड इकाइयों पर पूंजीगत लाभ (Capital Gains)

  2. डिविडेंड आय (Dividend Income)

  3. ब्याज आय (Interest Income)

Defective SFT Submission का उपाय

यदि Statement of Financial Transactions (SFT) में कोई दोष पाया जाता है, तो Income Tax Authority इसकी सूचना Reporting Entity/Person को देगा। इसके बाद, Reporting Entity को सूचित किए गए दिनांक से 30 दिनों के भीतर दोष को सुधारने का अवसर दिया जाएगा।

यदि अधिक समय की आवश्यकता हो, तो Reporting Entity आवेदन करके Income Tax Authority से समय विस्तार (Extension) का अनुरोध कर सकता है, जिसे अधिकारी के विवेकाधिकार पर मंजूरी दी जा सकती है।

हालांकि, यदि निर्धारित 30 दिनों या बढ़ाई गई समय-सीमा के भीतर दोष को ठीक नहीं किया जाता है, तो SFT को अमान्य (Invalid) माना जाएगा और Non-Furnishing of SFT से संबंधित दंड और परिणाम लागू होंगे।

निष्कर्ष

SFT वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता बनाए रखने, कर चोरी को रोकने और कर प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाने में सहायक है। समय पर SFT फ़ाइल करना न केवल कर अनुपालन सुनिश्चित करता है, बल्कि करदाताओं को अनावश्यक नोटिस और दंड से भी बचाता है। उचित रिपोर्टिंग से व्यवसायों और संस्थानों को वित्तीय निगरानी में मदद मिलती है और वे कर प्रणाली के साथ अधिक सुचारू रूप से समन्वय कर सकते हैं। इसलिए, सभी पात्र संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने वित्तीय लेन-देन का सही ढंग से रिकॉर्ड रखें और समयसीमा के भीतर SFT फ़ाइल करें।

सामान्य प्रश्न (FAQs)

1. SFT का उद्देश्य क्या है?

SFT रिपोर्टिंग से उच्च-मूल्य वाले लेन-देन की निगरानी होती है, जिससे कर अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

2. SFT कौन फ़ाइल करता है?

बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, स्टॉक एक्सचेंज, रजिस्ट्रार, और अन्य अधिसूचित संस्थाएँ।

3. कौन-कौन से लेन-देन रिपोर्ट करना आवश्यक है?

नकद जमा, संपत्ति खरीद-बिक्री, शेयर/म्यूचुअल फंड निवेश, विदेशी मुद्रा लेन-देन आदि।

4. SFT फ़ाइल करने की अंतिम तिथि क्या है?

31 मई संबंधित वित्तीय वर्ष के बाद।

5. SFT न भरने पर क्या दंड है?

₹500-₹1,000 प्रतिदिन का जुर्माना, गलत जानकारी देने पर ₹50,000 का दंड।

6. क्या एक आम नागरिक को भी SFT फ़ाइल करना होता है?

नहीं, केवल अधिसूचित संस्थाओं और निर्धारित वित्तीय गतिविधियाँ करने वाले व्यावसायिक संगठनों को SFT फ़ाइल करना अनिवार्य है।

7. क्या SFT डेटा मेरे आयकर रिटर्न (ITR) में दिखेगा?

हाँ, आयकर विभाग आपके वार्षिक सूचना विवरण (Annual Information Statement - AIS) में रिपोर्ट की गई SFT जानकारी दिखाएगा।

8. यदि SFT फ़ाइल नहीं की जाए तो क्या होगा?

अगर आप निर्धारित समय पर SFT फ़ाइल नहीं करते हैं, तो आपको नोटिस जारी किया जा सकता है और जुर्माना लगाया जा सकता है।

9. क्या SFT फाइलिंग में कोई सुधार या संशोधन किया जा सकता है?

हाँ, यदि कोई त्रुटि हो गई है, तो संशोधित SFT फ़ाइल करने की अनुमति होती है, बशर्ते कि वह कर अधिकारियों द्वारा निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर हो।

10. क्या SFT केवल बड़े व्यवसायों के लिए है?

नहीं, SFT की आवश्यकता सभी पात्र संस्थानों और व्यक्तियों के लिए हो सकती है, बशर्ते वे विशिष्ट लेन-देन की रिपोर्टिंग के लिए पात्र हों।

Read More: ITR Filing 2025: करदाता कितनी बार Old और New Tax Regime के बीच Switch कर सकते हैं?

Post a Comment

Previous Post Next Post