आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का GST मूल्यांकन में प्राकृतिक न्याय पर निर्णय

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का GST मूल्यांकन में प्राकृतिक न्याय पर निर्णय

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परिचय: 22 जनवरी, 2025 को, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने Bhagirath Infra Projects (AP) (P.) Ltd. बनाम Assistant Commissioner of Central Tax मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। यह मामला नोटिसों की सेवा और व्यक्तिगत सुनवाई के महत्व को उजागर करता है, विशेष रूप से उन मामलों में जहाँ Income Tax और GST रिटर्न के बीच विसंगतियों के आधार पर कर माँग की जाती है। इस निर्णय से प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है।

मामले की पृष्ठभूमि : Bhagirath Infra Projects सड़क निर्माण, पुल निर्माण और सिंचाई कार्यों में संलग्न है। विवाद तब उत्पन्न हुआ जब कंपनी को 11 दिसंबर, 2020 को एक Show Cause Notice (SCN) मिला, जिसमें वित्तीय वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिए Income Tax रिटर्न में घोषित टर्नओवर के आधार पर Service Tax की माँग की गई थी। याचिकाकर्ता ने आपत्तियाँ दायर कीं, लेकिन इसके बावजूद 26 मार्च, 2024 को एक प्रतिकूल मूल्यांकन आदेश प्राप्त हुआ, जिसमें व्यक्तिगत सुनवाई नहीं दी गई।

कानूनी मुद्दे: याचिकाकर्ता ने निम्नलिखित आधारों पर मूल्यांकन आदेश को चुनौती दी:

  1. अंतिम आदेश पारित करने से पहले कोई व्यक्तिगत सुनवाई नहीं दी गई।
  2. याचिकाकर्ता Notification No. 25/2012 दिनांक 20 जून, 2012 के तहत छूट का दावा करने में असमर्थ रहा।
  3. व्यक्तिगत सुनवाई के नोटिस कथित रूप से ईमेल और डाक के माध्यम से भेजे गए, लेकिन याचिकाकर्ता ने दावा किया कि:
    • जिस Email ID पर संदेश भेजा गया, वह GST प्राधिकरणों के साथ पंजीकृत नहीं थी।
    • डाक के माध्यम से भेजे गए नोटिस वापस लौट आए।

राजस्व विभाग की दलीलें: राजस्व विभाग ने 25 नवंबर, 2024 को एक मेमो प्रस्तुत किया, जिसमें Email Notices और डाक प्रेषण के साक्ष्य संलग्न किए गए थे। इन दस्तावेजों के आधार पर, विभाग ने तर्क दिया कि नियमानुसार प्रक्रिया का पालन किया गया था और प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन का दावा अस्वीकृत किया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय का अवलोकन और निर्णय: न्यायालय ने नोटिसों की वैध सेवा पर विवाद को स्वीकार किया, लेकिन इस मुद्दे पर कोई तथ्यात्मक निष्कर्ष निकालने के बजाय, मूल्यांकन आदेश को रद्द कर दिया और निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

  1. राजस्व विभाग को याचिकाकर्ता को एक नया नोटिस जारी करना होगा, जिसमें व्यक्तिगत सुनवाई की तिथि स्पष्ट रूप से उल्लिखित होगी।
  2. यह नोटिस याचिकाकर्ता की पंजीकृत Email ID (bhagirathnnv@gmail.com GST रिकॉर्ड के अनुसार) पर भेजा जाना चाहिए।
  3. नोटिस प्राप्त करने पर, याचिकाकर्ता को सक्षम प्रतिनिधि के माध्यम से अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होना होगा और अपनी आपत्तियाँ प्रस्तुत करनी होंगी।
  4. अधिकारी याचिकाकर्ता की आपत्तियों पर विचार कर उचित आदेश पारित करेंगे।
  5. मामले की विशिष्ट परिस्थितियों को देखते हुए, न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि सीमा अवधि (Limitation Period) को पुनः मूल्यांकन प्रक्रिया में बाधा नहीं बनने दिया जाएगा।

इस निर्णय से मिलने वाली मुख्य सीख

  • व्यक्तिगत सुनवाई का महत्व: यह निर्णय इस बात की पुष्टि करता है कि जब करदाता की आपत्तियाँ महत्वपूर्ण कानूनी और तथ्यात्मक मुद्दे उठाती हैं, तो व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।
  • नोटिस की उचित सेवा: कर अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि नोटिस करदाता की पंजीकृत Email और Postal Address पर ही भेजे जाएँ।
  • GST कार्यवाही में प्राकृतिक न्याय: यह निर्णय इस बात को स्पष्ट करता है कि कर मूल्यांकन में प्रक्रिया संबंधी खामियों के कारण आदेश रद्द हो सकते हैं।
  • करदाताओं पर प्रभाव: यह निर्णय उन करदाताओं को राहत प्रदान करता है जो नोटिस सेवा और सुनवाई प्रक्रिया में खामियों के कारण प्रतिकूल GST मूल्यांकन का सामना कर रहे हैं।

निष्कर्ष Bhagirath Infra Projects मामला GST मूल्यांकन में प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। करदाताओं को अपने पंजीकृत संचार विवरण की जाँच करनी चाहिए और कर नोटिसों का समय पर जवाब देना चाहिए, जबकि कर अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि प्रक्रिया का सही पालन हो। यह निर्णय कर मामलों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने के प्रति न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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Rajveer Singh

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