पुरानी बनाम नई टैक्स प्रणाली: वित्त वर्ष 2024-25 में आपको कौन सी चुननी चाहिए?
भारत की कर प्रणाली दो अलग-अलग टैक्स सिस्टम प्रदान करती है: पुरानी टैक्स प्रणाली (Old Tax Regime) और नई टैक्स प्रणाली (New Tax Regime) जो धारा 115BAC के तहत आती है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में, करदाताओं को यह तय करना होता है कि उनके लिए कौन सी प्रणाली बेहतर है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने परिपत्र संख्या 03/2025 जारी किया है, जो नवीनतम टैक्स स्लैब, छूट और कटौतियों को शामिल करता है। यह लेख आपको सही निर्णय लेने में मदद करेगा।
1. दोनों टैक्स सिस्टम की तुलना
पुरानी टैक्स प्रणाली (Old Tax Regime)
पुरानी टैक्स प्रणाली करदाताओं को विभिन्न कटौतियों और छूटों का लाभ उठाने की अनुमति देती है, जैसे कि HRA, स्टैंडर्ड डिडक्शन, धारा 80C के तहत निवेश आदि। टैक्स स्लैब इस प्रकार हैं:
आय सीमा |
टैक्स दर |
₹2,50,000 तक |
0% |
₹2,50,001 - ₹5,00,000 |
5% |
₹5,00,001 - ₹10,00,000 |
20% |
₹10,00,000 से अधिक |
30% |
इसके अतिरिक्त, धारा 87A के तहत ₹5 लाख तक की कर योग्य आय वाले व्यक्तियों के लिए कोई टैक्स देय नहीं है।
नई टैक्स प्रणाली (New Tax Regime)
नई टैक्स प्रणाली, जो कि अब डिफ़ॉल्ट प्रणाली है, में कम टैक्स दरें हैं, लेकिन इसमें अधिकांश कटौतियाँ और छूटें समाप्त कर दी गई हैं।
आय सीमा |
टैक्स दर |
₹3,00,000 तक |
0% |
₹3,00,001 - ₹7,00,000 |
5% |
₹7,00,001 - ₹10,00,000 |
10% |
₹10,00,001 - ₹12,00,000 |
15% |
₹12,00,001 - ₹15,00,000 |
20% |
₹15,00,000 से अधिक |
30% |
इसके अलावा, धारा 87A के तहत ₹7 लाख तक की आय पर कर शून्य होगा।
2. कटौतियों और छूटों का विश्लेषण
पुरानी टैक्स प्रणाली के लाभ:
- कटौतियाँ उपलब्ध हैं: स्टैंडर्ड डिडक्शन (₹50,000), धारा 80C (₹1.5 लाख), 80D (स्वास्थ्य बीमा), HRA, LTA आदि।
- छूट: हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), और प्रोफेशनल टैक्स में छूट।
- किसके लिए बेहतर: वेतनभोगी व्यक्ति जो टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं।
नई टैक्स प्रणाली के लाभ:
- मध्यम आय वाले लोगों के लिए कम टैक्स दरें।
- ₹3 लाख तक की आय कर मुक्त।
- सरल टैक्स प्रक्रिया और कम दस्तावेज़ीकरण।
- किसके लिए बेहतर: जो लोग कर छूट के बिना कम टैक्स दर पसंद करते हैं।
3. विभिन्न वेतन श्रेणियों के उदाहरण
मामला 1: ₹6 लाख वार्षिक वेतन
टैक्स प्रणाली |
देय कर (छूट के बाद) |
पुरानी टैक्स प्रणाली |
₹0 |
नई टैक्स प्रणाली |
₹0 |
मामला 2: ₹12 लाख वार्षिक वेतन
टैक्स प्रणाली |
देय कर (छूट के बाद) |
पुरानी टैक्स प्रणाली (₹2 लाख की कटौती सहित) |
₹1,02,500 |
नई टैक्स प्रणाली |
₹1,35,000 |
मामला 3: ₹20 लाख वार्षिक वेतन
टैक्स प्रणाली |
देय कर (छूट के बाद) |
पुरानी टैक्स प्रणाली (₹2.5 लाख की कटौती सहित) |
₹4,29,000 |
नई टैक्स प्रणाली |
₹4,42,500 |
4. प्रत्येक टैक्स प्रणाली के फायदे और नुकसान
पुरानी टैक्स प्रणाली
फायदे:
- उच्च कटौतियाँ और छूट।
- करदाताओं के लिए बचत के अधिक अवसर।
नुकसान:
- अधिक दस्तावेज़ीकरण और जटिलता।
- उच्च टैक्स दरें।
नई टैक्स प्रणाली
फायदे:
- कम टैक्स दरें।
- सरल कर प्रक्रिया।
नुकसान:
- कोई कर छूट या कटौती नहीं।
5. वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए विशेषज्ञ सिफारिशें
पुरानी टैक्स प्रणाली कब चुनें?
- यदि आपकी कटौतियाँ ₹2-2.5 लाख से अधिक हैं।
- यदि आपके पास गृह ऋण पर ब्याज कटौती है।
- यदि आप कर बचत निवेश पसंद करते हैं।
नई टैक्स प्रणाली कब चुनें?
- यदि आपके पास कम कटौतियाँ हैं।
- यदि आप सरल और कम दर वाली प्रणाली चाहते हैं।
- यदि आपकी कर योग्य आय ₹7 लाख से कम है।
निष्कर्ष: सही चुनाव कैसे करें?
पुरानी बनाम नई टैक्स प्रणाली का चुनाव आपकी आय, कटौतियों और वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर करता है। यदि आपके पास टैक्स सेविंग निवेश अधिक हैं, तो पुरानी टैक्स प्रणाली लाभदायक होगी।
हालाँकि, यदि आप सरलता और कम टैक्स दरें चाहते हैं, तो नई टैक्स प्रणाली एक अच्छा विकल्प हो सकती है। सही निर्णय लेने के लिए, करदाता को दोनों प्रणालियों के तहत अपनी कर देयता की गणना करनी चाहिए।
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